ये एक छोटी सी झील थी जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी थी। इसी के एक ओर पहाड़ी से गिरता साफ पानी का झरना इस झील में पानी की सतत आमद बनाये रखता था। पानी के स्वच्छ होने का कारण भी संभवतः यही था कि झील की सतह पथरीली और मानव-रहित थी। इस निर्जन एकांत में दूर-दूर तक किसी का नामो-निशान दिखाई न देता था।
आज न जाने कैसे, कहाँ से भटक कर कोई युवक यहाँ आ पहुंचा था, और इस निर्जन मनोरम स्थल पर झरने के नीचे स्नान करने से स्वयं को रोक नहीं पाया था। शायद उसकी थकान को फुहारों ने अपनी ओर खींचा हो।
इस प्राकृतिक सुनसान में युवक ने अपने शरीर पर किसी मानव-निर्मित आवरण की कोई ज़रूरत नहीं समझी थी। वह पूर्णतः निर्वस्त्र था।
किन्तु थोड़ी देर के ठन्डे जल के इस अंतरंग स्पर्श ने उसे कुदरत के बिलकुल समीप कर दिया। अब वह किसी रहस्यमयी नज़र से चारों ओर देख रहा था। दूर-दूर तक किसी परिंदे तक के होने की सम्भावना न पाकर युवक ने अपने सीने पर कस कर बंधे एक चमड़े के पट्टे को हौले से खोल दिया। शरीर के ही रंग का यह पट्टा जब तक युवक के सीने पर था, यह शरीर का ही एक भाग नज़र आता था। किन्तु अब इसके हटते ही निर्जन वादियों ने हैरानी से वह वक्षस्थल देखा जिस पर दो कसे हुए विशाल नुकीले स्तन किसी गुब्बारे की तरह लहराने लगे। और तभी चारों ओर फैले सन्नाटे को उस युवक की बेशुमार खूबसूरती का कारण समझ में आया।
वस्तुतः वह एक युवती ही थी जो युवक के वेश में घूम रही थी। उसने अपने उन्नत स्तनों को ढकने के लिए ही चमड़े के उस गंदुमी रंग में रंगे पट्टे का प्रयोग किया था जो सहसा उसके शरीर की असलियत पता नहीं चलने देता था।
अपने सहज स्वाभाविक रूप में आते ही युवती की स्त्रियोचित सुकुमारता जाग उठी और वह अपने वक्षों को अँगुलियों से भींच कर पानी में उनका अक्स देखने का लोभ संवरण नहीं कर सकी।
पानी में चन्द्रमा के जुड़वां रूप क्या दिखे कि कुछ दूर खड़े उसके घोड़े की हिनहिनाहट भी तत्क्षण सुनाई दी। चौंक कर युवती ने उस ओर देखा और पाया कि घोड़े के पिछवाड़े के दरख़्त की ओट से किसी सरसराहट की आवाज़ भी सन्नाटे को चीर गयी है। कोई तीर की तरह वहां से निकल कर ओझल हो गया था।
आज न जाने कैसे, कहाँ से भटक कर कोई युवक यहाँ आ पहुंचा था, और इस निर्जन मनोरम स्थल पर झरने के नीचे स्नान करने से स्वयं को रोक नहीं पाया था। शायद उसकी थकान को फुहारों ने अपनी ओर खींचा हो।
इस प्राकृतिक सुनसान में युवक ने अपने शरीर पर किसी मानव-निर्मित आवरण की कोई ज़रूरत नहीं समझी थी। वह पूर्णतः निर्वस्त्र था।
किन्तु थोड़ी देर के ठन्डे जल के इस अंतरंग स्पर्श ने उसे कुदरत के बिलकुल समीप कर दिया। अब वह किसी रहस्यमयी नज़र से चारों ओर देख रहा था। दूर-दूर तक किसी परिंदे तक के होने की सम्भावना न पाकर युवक ने अपने सीने पर कस कर बंधे एक चमड़े के पट्टे को हौले से खोल दिया। शरीर के ही रंग का यह पट्टा जब तक युवक के सीने पर था, यह शरीर का ही एक भाग नज़र आता था। किन्तु अब इसके हटते ही निर्जन वादियों ने हैरानी से वह वक्षस्थल देखा जिस पर दो कसे हुए विशाल नुकीले स्तन किसी गुब्बारे की तरह लहराने लगे। और तभी चारों ओर फैले सन्नाटे को उस युवक की बेशुमार खूबसूरती का कारण समझ में आया।
वस्तुतः वह एक युवती ही थी जो युवक के वेश में घूम रही थी। उसने अपने उन्नत स्तनों को ढकने के लिए ही चमड़े के उस गंदुमी रंग में रंगे पट्टे का प्रयोग किया था जो सहसा उसके शरीर की असलियत पता नहीं चलने देता था।
अपने सहज स्वाभाविक रूप में आते ही युवती की स्त्रियोचित सुकुमारता जाग उठी और वह अपने वक्षों को अँगुलियों से भींच कर पानी में उनका अक्स देखने का लोभ संवरण नहीं कर सकी।
पानी में चन्द्रमा के जुड़वां रूप क्या दिखे कि कुछ दूर खड़े उसके घोड़े की हिनहिनाहट भी तत्क्षण सुनाई दी। चौंक कर युवती ने उस ओर देखा और पाया कि घोड़े के पिछवाड़े के दरख़्त की ओट से किसी सरसराहट की आवाज़ भी सन्नाटे को चीर गयी है। कोई तीर की तरह वहां से निकल कर ओझल हो गया था।