सोमवार, 6 मार्च 2017

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युवराज के लिए ये प्रशंसा और ख़ुशी एक अलग तरह का विचित्र अनुभव था। कोई सोच भी नहीं सकता था कि ज़माने भर की ख़ुशी और सहयोग पाने वाला ये नया युवराज भीतर से किसी बात को लेकर इतना भयभीत और चिंतित भी हो सकता है।
और इस चिंता में एकाएक एक दिन और भी बढ़ोतरी हो गई, जब युवराज को मालूम पड़ा कि युवा राजकुमारी उस से प्रेम करने लगी है। जब से उसका प्यारा रखवाला दोस्त एक खलनायक सिद्ध होकर उसे छोड़ भागा था वह जैसे मर-मर कर जीती रही थी। किन्तु अब नए युवराज ने उस के मन-प्राण में प्यार की नशीली ज्योत जगा दी। कुछ दिन तक तो ये एकतरफ़ा प्यार राजकन्या के सीने में ही कुलबुलाता रहा पर एक दिन युवराज से सामना होने पर ये युवराज पर भी ज़ाहिर हो गया।
युवराज के लिए ये उपलब्धि किसी अग्नि-परीक्षा से कम नहीं थी। एक तरफ पूरा  नगर अपने होने वाले राजा और उसकी मासूम नादान प्रेयसी के बीच पल्लवित गहन प्रीत की बयार में नहाने लगा था, वहीं दूसरी ओर युवराज इसके खतरे से अपनी रातों की नींद गवा चुका था।
मुश्किल ये थी कि वयोवृद्ध महाराज को भी ये समीकरण बेहद पसंद आया था।                  

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