युवक ने बचपन से अब तक की सारी कहानी युवराज को सुना डाली कि किस तरह युवक अपने पिता के साथ बचपन में युवराज के पिता की हवेली में आया करता था और बाद में वहीं काम करने लगा। युवक की सेवा और स्वामीभक्ति से प्रसन्न होकर युवराज के पिता ने उसे इस शाहीमहल में भेजने का फ़ैसला किया।
दुर्भाग्य से युवक के पिता का देहांत हो जाने के कारण युवक को छोटी उम्र में ही अब किसी बड़े रोज़गार की ज़रूरत थी ताकि वह अपनी माता और छोटे भाई-बहनों का लालन -पालन कर सके। युवराज के पिता ने भारी इनाम-इकराम और धनराशि के साथ युवक को यहाँ भेजा तो उसने इस अवसर को अपनी सेवा और स्वामीभक्ति का फल ही समझा,और उसकी माता ने भी इसे युवराज के पिता की कृतज्ञता मान कर लड़के को महल में आने की सहमति दी। किन्तु बिना बाप के उस लड़के को जब यहाँ उसका काम समझाया गया तो उसका माथा चकराया।
उसकी स्थिति ऐसी थी कि वह न तो किसी से कुछ कह सकता था और न ही अपने घर वापस लौट सकता था। उसे यहाँ छोड़ने स्वयं युवराज के पिता, छोटे ठाकुर आये थे।
उससे कहा गया कि उसे यहां रह कर राजकुमारी की देखभाल करनी है। हर पल, हर जगह उसे राजकुमारी के साथ रहने की हिदायत भी दी गयी।
आरम्भ में वह बहुत खुश हुआ किन्तु तब उसे बड़ा धक्का लगा जब खुद छोटे ठाकुर ने उसे उनके इरादे के बारे में बताया। वे चाहते थे कि राजकुमारी न तो ठीक से पढ़-लिख सके और न ही किसी बात को समझ पाने के योग्य हो सके, एक तरह से उसका जीवन नष्ट करने का काम ही उस युवक को करना था। भला एक भोले-भाले नवयुवक के लिए इस से ज़्यादा घृणित कार्य और क्या हो सकता था कि उसे एक निर्दोष सुंदरी के तन-मन को क्षत-विक्षत करने के लिए कहा जाये।
दुर्भाग्य से युवक के पिता का देहांत हो जाने के कारण युवक को छोटी उम्र में ही अब किसी बड़े रोज़गार की ज़रूरत थी ताकि वह अपनी माता और छोटे भाई-बहनों का लालन -पालन कर सके। युवराज के पिता ने भारी इनाम-इकराम और धनराशि के साथ युवक को यहाँ भेजा तो उसने इस अवसर को अपनी सेवा और स्वामीभक्ति का फल ही समझा,और उसकी माता ने भी इसे युवराज के पिता की कृतज्ञता मान कर लड़के को महल में आने की सहमति दी। किन्तु बिना बाप के उस लड़के को जब यहाँ उसका काम समझाया गया तो उसका माथा चकराया।
उसकी स्थिति ऐसी थी कि वह न तो किसी से कुछ कह सकता था और न ही अपने घर वापस लौट सकता था। उसे यहाँ छोड़ने स्वयं युवराज के पिता, छोटे ठाकुर आये थे।
उससे कहा गया कि उसे यहां रह कर राजकुमारी की देखभाल करनी है। हर पल, हर जगह उसे राजकुमारी के साथ रहने की हिदायत भी दी गयी।
आरम्भ में वह बहुत खुश हुआ किन्तु तब उसे बड़ा धक्का लगा जब खुद छोटे ठाकुर ने उसे उनके इरादे के बारे में बताया। वे चाहते थे कि राजकुमारी न तो ठीक से पढ़-लिख सके और न ही किसी बात को समझ पाने के योग्य हो सके, एक तरह से उसका जीवन नष्ट करने का काम ही उस युवक को करना था। भला एक भोले-भाले नवयुवक के लिए इस से ज़्यादा घृणित कार्य और क्या हो सकता था कि उसे एक निर्दोष सुंदरी के तन-मन को क्षत-विक्षत करने के लिए कहा जाये।